Wednesday, March 3, 2010

बारिशों के मौसम में

बारिशों के मौसम में बादलों कि छाँव में
फिर मुझे वो याद आये इन हसीं फिजाओं में

शायद अपनी जुल्फों को उसने खोल रखा है
भीनी भीनी खुशबू है आज इन हवाओं में

हम तुम्हें बतायेंगे प्यार किसको कहते हैं
शहर से कभी आना तुम हमारे गाँव में

ये सजा मिली हमको अपनी साफगोई की
हैं जुबान पर ताले बेड़ियाँ हैं पाँव में

दिल को जिस से मिलने की आस भी नहीं आसिफ
रोज़ याद आता है मुझ को वो दुआओं में

2 comments:

  1. बारिशों के मौसम में बादलों कि छाँव में
    फिर मुझे वो याद आये इन हसीं फिजाओं में.............
    sir
    in chand lino me aapne bahut kuchh likh diya hai. sach me bahut khoobsoorat andaaj me likha hai.

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  2. हम तुम्हें बतायेंगे प्यार किसको कहते हैं
    शहर से कभी आना तुम हमारे गाँव में

    ये सजा मिली हमको अपनी साफगोई की
    हैं जुबान पर ताले बेड़ियाँ हैं पाँव में

    आसिफ़ साहब ,बहुत खूब,ख़ुदा करे गांवों से आप का ये लगाव हमेशा बना रहे

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