Wednesday, February 24, 2010

चल उठ चलें

चल उठ चलें कोशिश करें

कुछ फासिले हम कम करें

उल्फत यहाँ उल्फत वहां

कुछ तल्खियाँ हम कम करें



ये दूरियां मजबूरियां

ना हों यहाँ ना हों वहां

ये आरज़ू ये जुस्तजू

कुछ तुम करो कुछ हम करें



रिश्ते सभी हों मोहतरम

मौसम सरद हो कि गरम

पिघले बरफ महके फिजा

शोलों को हम शबनम करें



मैं लूँ सबक तू दे अगर

तू दे अगर मैं लूँ सबक

गीता पढ़ें कुरआँ पढ़ें

आदत यही अब हम करें