Sunday, August 15, 2010

आवाज़ दे रहा है!

हर कतरा मेरे खूं का आवाज़ दे रहा है
हर ज़र्रा मेरी जां का आवाज़ दे रहा है

मंजिल के भूले भटके नाराज़ रास्तों को
ये रिश्ता तेरा मेरा आवाज़ दे रहा है

चल उठ के फिर से चल तो अनजान से सफ़र
हर लम्हा आने वाला आवाज़ दे रहा है

उलझन में क्यूं हो यारो मिट जायेगा अंधेरा
नन्हा सा इक जुगनू आवाज़ दे रहा है

अहसां वो मुझ पे कर के नाराज़ हो गया है
दिल मेरा उसको रह रह आवाज़ दे रहा है