दिल कि बातें करता कहाँ हूँ
दम उसका मैं भरता कहाँ हूँ
उसको मुझसे उम्मीदें क्यूँ
अब मैं उसपे मरता कहाँ हूँ
उसको थी कब मेरी परवाह
मैं उसका कुछ लगता कहाँ हूँ
मेरी आँखें सूखी हैं क्या
मैं पानी से भरता कहाँ हूँ
माना हैं पैरों में रस्सी
पर यूँ भी मैं चलता कहाँ हूँ
कैसा रस्ता कैसी मंजिल
ऐसी चाहत करता कहाँ हूँ
अब वो मेरा क्या कर लेगा
अब मैं उस से डरता कहाँ हूँ
Monday, April 11, 2011
Wednesday, January 5, 2011
तोड़ बैठा मरासिम!!
सूरज को जुगनू दिखाना चाहता हूँ
मैं अपने क़द को बढ़ाना चाहता हूँ
जो मेरे सर को झुकाना चाहता है
मैं उसके दर पे भी जाना चाहता हूँ
वो तो मुझ से सब मरासिम तोड़ बैठा
लेकिन मैं रिश्ता निभाना चाहता हूँ
उस कि दुनिया तो पुरानी हो गयी
मैं अपनी दुनिया बसाना चाहता हूँ
वो दिल कि कीमत लगाना चाहता है
मैं उसकी धड़कन बढ़ाना चाहता हूँ
मैं अपने क़द को बढ़ाना चाहता हूँ
जो मेरे सर को झुकाना चाहता है
मैं उसके दर पे भी जाना चाहता हूँ
वो तो मुझ से सब मरासिम तोड़ बैठा
लेकिन मैं रिश्ता निभाना चाहता हूँ
उस कि दुनिया तो पुरानी हो गयी
मैं अपनी दुनिया बसाना चाहता हूँ
वो दिल कि कीमत लगाना चाहता है
मैं उसकी धड़कन बढ़ाना चाहता हूँ
आदत बेमिसाल रखता है!!
वो अपने दिल में मलाल रखता है
जो अपने लब पे सवाल रखता है
उस से ही सब को शिकायतें भी हैं
वो ही जो सब का ख्याल रखता है
हासिल है उस को प्यार दुनिया का
रिश्ता जो सब से बहाल रखता है
जिस को ताक़त पे भरोसा हो अपनी
दुश्मन का जीना मुहाल रखता है
कैसे कह दें वो हसीन कितना है
कुदरत का सारा जमाल रखता है
दुनिया भी उस को सताती है यारो
आदत जो अपनी बेमिसाल रखता है
जो अपने लब पे सवाल रखता है
उस से ही सब को शिकायतें भी हैं
वो ही जो सब का ख्याल रखता है
हासिल है उस को प्यार दुनिया का
रिश्ता जो सब से बहाल रखता है
जिस को ताक़त पे भरोसा हो अपनी
दुश्मन का जीना मुहाल रखता है
कैसे कह दें वो हसीन कितना है
कुदरत का सारा जमाल रखता है
दुनिया भी उस को सताती है यारो
आदत जो अपनी बेमिसाल रखता है
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