Monday, April 11, 2011

डरता कहाँ हूँ!

दिल कि बातें करता कहाँ हूँ
दम उसका मैं भरता कहाँ हूँ

उसको मुझसे उम्मीदें क्यूँ
अब मैं उसपे मरता कहाँ हूँ

उसको थी कब मेरी परवाह
मैं उसका कुछ लगता कहाँ हूँ

मेरी आँखें सूखी हैं क्या
मैं पानी से भरता कहाँ हूँ

माना हैं पैरों में रस्सी
पर यूँ भी मैं चलता कहाँ हूँ

कैसा रस्ता कैसी मंजिल
ऐसी चाहत करता कहाँ हूँ

अब वो मेरा क्या कर लेगा
अब मैं उस से डरता कहाँ हूँ