Wednesday, January 5, 2011

तोड़ बैठा मरासिम!!

सूरज को जुगनू दिखाना चाहता हूँ
मैं अपने क़द को बढ़ाना चाहता हूँ

जो मेरे सर को झुकाना चाहता है
मैं उसके दर पे भी जाना चाहता हूँ

वो तो मुझ से सब मरासिम तोड़ बैठा
लेकिन मैं रिश्ता निभाना चाहता हूँ

उस कि दुनिया तो पुरानी हो गयी
मैं अपनी दुनिया बसाना चाहता हूँ


वो दिल कि कीमत लगाना चाहता है

मैं उसकी धड़कन बढ़ाना चाहता हूँ

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