Wednesday, December 30, 2009

बिलकुल ना डर

देख तू बिलकुल ना डर

अंजाम की परवाह ना कर

तेज़ हो कितनी भी धूप

प्यार की एक नन्ही सी बूँद

रोक लेगी आँधियों को

सोख लेगी गर्मियों को

हर ख़ुशी उनके लिए है

जो मुसीबत में जिए हैं

है अगर जीने की हसरत

पाल ले मरने की चाहत


आसिफ सहारनी



1 comment:

  1. jihad jindabad, kam se kam shayaree aisi na kar
    ise to chhod do, kisi hasina ka jikr kar

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